30 December 2009

परदेस में आहार: कभी खुशी कभी गम

ईमान से कहता हूँ, विदेश में खाना खाना एक बड़ा ही रोचक, यादगार एवं शानदार अनुभव होता है, किंतु साथ ही कभी कभी ऐसा भी लगता है की कहाँ आ फंसे। ऐसे में आप बच गए तो आपका भाग्य अन्यथा दुर्भाग्य। भाषा की समस्या पहली समस्या है, परन्तु सिर्फ़ बोलचाल भर का ज्ञान कभी कभी मुसीबत में डालने वाला हो सकता है। आखिरकार आपको सिर्फ़ अपने कार्यस्थल पर ही नहीं अपने दैनंदिन कार्य के लिए विभिन्न प्रकार के लोगों से भी मिलना होता है।
मैं Bacon शब्द से अनजान तो नहीं ही था, बस इतना जानता था कि पुनर्जागरण काल में एक महान लेखक और दार्शनिक हुए थे जिनका नाम था Francis Bacon । इस से ज्यादा इस शब्द की सार्थकता के बारे में तब तक कल्पना भी नहीं थी, जब तक मैं अपने ऑफिस के कैफेटेरिया में उस दिन नहीं गया था। उस दिन का व्यंजन था Navajo Chicken Sandwich । इसके बारे में विस्तृत विवरण तो देखा , उसमे ये शब्द भी पूरे तौर पर विराजमान था। शेफ ने बड़े ही प्यार से बनाया और जब मुझे परोसने लगा तो मैंने बस उत्सुकतावश पूछा "भाई साहब, इन के नाम भी आप बताएं तो मेरे ज्ञानकोष में कुछ वृद्धि हो। मसलन वो लाल लाल सा टुकड़ा क्या डाला?" उसने भी बड़े ही प्यार से फरमाया:
" Hey ! you don't know this? this is Bacon. Bacon. "
मैंने कंधा उचकाते हुए अनभिज्ञता जतायी।फ़िर उसने कहा:
" Bacon you don't know? " लगा जैसे मैंने जीवन के मूलभूत ज्ञान से वंचित होने का-सा पाप कर दिया हो।
मैंने फ़िर अपना सर ना में हिलाया। फ़िर उसने समझाया:
" See this is side part of the pig. Very tasty. Yummy. You'll love this.Try this today and say thanks to me.okay? "
भगवान् का लाख लाख शुक्र था। मेरे माता पिता एवं गुरुजनों का आशीर्वाद था की समय रहते मेरी बुद्धि चेत गई और मैंने उत्सुकता दिखाई।
उसने बड़े ही प्यार से अपनी तरफ़ से मुझे अच्छा खाना परोसने की कोशिश की थी। लेकिन दुर्भाग्यवश संस्कृति एवं संस्कार का अन्तर हो गया। उसकी भाषा में वह एक लज़ीज़ व्यंजन था Bacon । मेरी भाषा में वह था सूअर । खैर जो भी हो, मुझे इनकार भी करना था और ये भी देखना था कि उसे बुरा न लगे। किसी तरह से इनकार किया। फ़िर धन्यवाद के साथ आग्रह किया कि बिना Bacon के बना दे। अंततः खाना मेरे अनुसार ही बना और फिर इश्वर को धन्यवाद देता हुआ बाहर निकल गया।

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